ईचागढ़, 29 अगस्त : सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत ईचागढ़ थाना क्षेत्र के एनएच-33 (टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग) स्थित नागासेरेंग में शुक्रवार को हुए भीषण सड़क हादसे में गौरांगकोचा निवासी नारायण गोराई की मौत हो गई। हादसा उस वक्त हुआ जब वह सड़क किनारे खड़ा था और तेज रफ्तार से गुजर रहे एक टेलर वाहन का पहिया अचानक खुल गया। इससे वाहन अनियंत्रित होकर नारायण गोराई को अपनी चपेट में ले लिया। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है।
सुरक्षा ड्यूटी के दौरान हुआ हादसा
जानकारी के मुताबिक, नारायण गोराई को ईचागढ़ पुलिस ने राज्यपाल के आगमन को लेकर नागासेरेंग में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया था। चौकीदार के यूनिफॉर्म में ड्यूटी के दौरान ही यह दर्दनाक हादसा हुआ। हालांकि, मृतक की नियुक्ति को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
चौंकाने वाला खुलासा – "आधिकारिक चौकीदार नहीं थे नारायण"
गौरांगकोचा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि नारायण गोराई कोई सरकारी चौकीदार नहीं थे। वह मूल रूप से ईचागढ़ के बांदु गांव के निवासी थे और गौरांगकोचा के वास्तविक चौकीदार कीर्तन तंतुबाई के घर में रहकर उनके बदले में चौकीदार का कार्य संभालते थे। इसी दौरान उन्हें अक्सर पुलिस द्वारा ड्यूटी और सुरक्षा कार्यों में लगाया जाता था।
भाजपा नेता ने उठाई आवाज
इस घटना पर भाजपा नेता भूषण मुर्मू ने गहरा आक्रोश जताया है। उन्होंने कहा "नारायण गोराई आधिकारिक चौकीदार नहीं थे, फिर भी उन्हें सुरक्षा व्यवस्था में लगाया जाता था। इस वर्ष गणेश पूजा में भी उन्हें सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। पातकुम नवकुंज मेले में भी उन्हें ड्यूटी दी जाती थी। पुलिस गस्ती दल के साथ भी वे सक्रिय रहते थे। ऐसे में उनकी सेवा को मान्यता दी जानी चाहिए।"
भूषण मुर्मू ने प्रशासन से मांग की कि मृतक के परिवार को सरकारी प्रावधानों के तहत उचित मुआवजा एवं सम्मान प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने पहल नहीं की तो वे इस मामले को लेकर पुलिस के वरीय पदाधिकारियों से मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे और धरातल पर ग्रामीणों के साथ आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
परिजनों में मातम, गांव में आक्रोश
नारायण गोराई की आकस्मिक मौत से गौरांगकोचा व आसपास के गांवों में शोक और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि जब पुलिस की ओर से उन्हें सुरक्षा ड्यूटी पर लगाया गया था, तो उनके परिजनों को भी वैसा ही मुआवजा मिलना चाहिए, जैसा किसी सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान मौत पर दिया जाता है।