Bhubaneswar: भुवनेश्वर में 13 सितम्बर को कॉरपोरेट-रिसाइक्लर्स कॉन्क्लेव 2025 का शुभारंभ मानव संसाधन विकास संस्थान (एमएसवीएस) द्वारा मैयफेयर लैगून, भुवनेश्वर में किया गया। इस अवसर पर उद्योग जगत के वरिष्ठ नेता, रिसाइक्लिंग क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ एवं प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि एक मंच पर एकत्र हुए, जिनका उद्देश्य औद्योगिक अपशिष्ट के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग और भारत की सर्कुलर इकॉनमी की दृष्टि को साकार करना है।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना और दीप प्रज्वलन से हुई, इसके पश्चात् विशिष्ट अतिथियों का सम्मान किया गया। कॉन्क्लेव के संयोजक प्रो. रंजीत प्रसाद ने स्वागत भाषण दिया और डॉ. एस. रंगनाथन ने उद्घाटन टिप्पणी प्रस्तुत की। इस अवसर पर एक विशेष स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
सम्मानित अतिथियों के प्रमुख उद्बोधन
थोता कृष्णा राव, प्रबंध निदेशक, Re Sustainability Limited (विशिष्ट अतिथि) – रिसाइक्लर्स की भूमिका, असंगठित क्षेत्र के समावेशन, निर्माताओं के लिए ईपीआर (Extended Producer Responsibility) की आवश्यकता तथा आधुनिक उपकरणों के उपयोग पर बल।
सुधीर कुमार मेहता, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, NINL (मुख्य अतिथि) – सर्कुलर इकॉनमी की अवधारणा, प्रकृति और जैव विविधता की सुरक्षा तथा भविष्य को संरक्षित करने की सामूहिक जिम्मेदारी पर प्रकाश।
विनोद कुमार वर्मा, अध्यक्ष एवं प्रमुख, विनियामक मामले, Hindalco (विशिष्ट अतिथि) – स्थिरता और कॉन्क्लेव के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि छोटे प्रयास बड़े परिणाम लाते हैं। इस कार्यक्रम को वेस्ट मैनेजमेंट एवं रिसाइक्लिंग में एक बड़े बदलाव की नींव बताया।
डॉ. अरविंद बोधंकर, मुख्य स्थिरता अधिकारी, AMNS – अति-उपभोग से बचने और सतत विकास के लिए विवेकपूर्ण जीवनशैली अपनाने पर जोर।
तकनीकी एवं पैनल सत्र
प्रातःकालीन तकनीकी सत्र में एनआईएनएल, हिंडालको, मंस, रुंगटा, जेएसडब्ल्यू बीपीएसएल, जेएसडब्ल्यू सीमेंट, कल्याणी स्टील और नाल्को जैसी अग्रणी कंपनियों ने अपने स्थिरता कार्यक्रमों एवं अभिनव रिसाइक्लिंग पहलों की प्रस्तुतियाँ दीं। इसके अतिरिक्त, प्रमुख रिसाइक्लर्स जैसे रामके, कोलंबिया पेट्रोकेमिकल्स, निकिता मेटल्स, बसु इंजीनियरिंग कंसल्टिंग और इकोसस्टेन ने भी सक्रिय भागीदारी की।
शैक्षणिक संस्थानों में NIT जमशेदपुर, IIT भुवनेश्वर, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU), बिलासपुर और कोल्हान विश्वविद्यालय, झारखंड की सक्रिय उपस्थिति रही। इससे अकादमिक अनुसंधान और औद्योगिक व्यवहारिकता के बीच सेतु निर्माण को नई ऊर्जा मिली।
कार्यक्रम का निष्कर्ष
कार्यक्रम का निष्कर्ष यह रहा कि हर उद्योग को चुनौतियाँ हैं और वे उनके समाधान हेतु प्रयासरत भी हैं। सभी उद्योग ऐसे अवसरों की तलाश में हैं, जिनसे उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। इस संदर्भ में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि एक साझा प्लेटफार्म का निर्माण किया जाए, जिसमें उद्योग जगत, शिक्षण एवं शोध संस्थान, स्टार्टअप्स और स्टार्टअप इको-सिस्टम इनएबलर्स सम्मिलित हों। इस प्लेटफार्म पर समस्याएँ और समाधान दोनों साझा किए जाएंगे, साथ ही समाधानों पर आने वाले खर्च की व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि एक समस्या का समाधान केवल एक उद्योग नहीं बल्कि पूरे उद्योग जगत और समाज को लाभ पहुँचा सके।
विशेष सहयोग
इस पूरे कार्यक्रम में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील (AMNS) और Re Sustainability Limited का विशेष सहयोग रहा। आयोजकों को आशा है कि भविष्य में भी यह सहयोग इसी तरह जारी रहेगा।
कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. एस. रंगनाथन (सदस्य, EAC-1 समिति, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), डॉ. रंजीत प्रसाद (सदस्य, EAC-1 समिति, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), डॉ. सुरूची, प्रो. अमर नाथ सिंह (कोल्हान विश्वविद्यालय), डॉ. रामकृष्ण (प्रोफेसर, NIT जमशेदपुर), डॉ. सरोज सारंगी (प्रोफेसर, NIT जमशेदपुर), एम.एल. विश्वकर्मा (उद्यमी) एवं हेमंत जेना का उल्लेखनीय योगदान रहा।