Ranchi High Court :झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य नियुक्ति से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को दो वर्षीय बीएड (B.Ed) धारकों को चयन प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन अभ्यर्थियों को न्यूनतम योग्यता के आधार पर बाहर करना अनुचित है।
दरअसल, वर्ष 2023 में सहायक आचार्य पदों के लिए निकाले गए विज्ञापन में JSSC ने केवल एक वर्षीय B.Ed कोर्स को मान्यता दी थी। इस आधार पर कई अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के समय अयोग्य ठहराया गया। इस कार्रवाई के खिलाफ विप्लव दत्ता सहित अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि वर्ष 2014 के बाद एनसीटीई (NCTE) के रेगुलेशन के अनुसार पूरे देश में बीएड कोर्स की अवधि दो वर्ष कर दी गई थी। रांची विश्वविद्यालय समेत देश की सभी मान्यता प्राप्त संस्थानों में यह नियम लागू है। इसके बावजूद आयोग ने दो वर्षीय बीएड धारकों को अयोग्य ठहराया, जो कि अनुचित है।
वकीलों ने यह भी बताया कि दो वर्षीय बीएड डिग्री एक वर्षीय डिग्री से अधिक योग्यता दर्शाती है। साथ ही यह डिग्री एनसीटीई के दिशा-निर्देशों और 2019 की अधिसूचना के तहत वैध है। अतः ऐसे अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर करना गैरकानूनी होगा।
सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि दो वर्षीय बीएड धारकों को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निर्देश दिया कि ऐसे सभी अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य की चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
यह फैसला न सिर्फ प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए राहत भरा है, बल्कि आने वाले समय में नियुक्ति प्रक्रियाओं को लेकर भी एक अहम मिसाल बन सकता है।