चांडिल : सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल स्थित दलमा सेंचुरी की तराई में बसे आदिम जनजाति के लोगों का जीवन पूरी तरह जंगल पर निर्भर है। ये लोग जंगल से कंदमूल, फल-फूल और जड़ी-बूटियां एकत्रित कर अपना गुजर-बसर करते हैं। लेकिन अब इनकी जमीन पर भू-माफिया और उद्योगपतियों की नजर है, जो छल-कपट कर उनकी पुश्तैनी जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार वन पट्टा देकर इन्हें जंगल से बाहर बसाने की कोशिश कर रही है। सबसे बड़ी चिंता इनके पूजा स्थलों की है, जिनकी जमीन की कीमत करोड़ों की है। उद्योगपति और भू-माफिया इन भूमि पर कब्जा करना चाहते हैं, जबकि आदिम जनजाति के लोग आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि आयोग या अदालत जाकर अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ सकें।
ऐसे हालात में सरकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। केंद्र और राज्य सरकार को इन आदिम जनजाति के लोगों की सुरक्षा, उनके अधिकारों और उनकी भूमि की रक्षा के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे। यदि समय रहते प्रयास नहीं किए गए, तो यह समुदाय अपनी पहचान और अस्तित्व खो सकता है।