Jamshedpur: जमशेदपुर गणेश उत्सव का रंग इन दिनों पूरे शहर में छाया हुआ है। शुक्रवार को ऐतिहासिक कदमा गणेश पूजा मैदान में धार्मिक उल्लास और आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला। अवसर था कुमकुम पूजा का, जिसमें सैकड़ों सुहागिन महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाएं हाथों में पूजा की थाली लेकर गणपति के दरबार में पहुंचीं और अपने सुहाग तथा संतान की लंबी उम्र की कामना की।                    
                    
                    
                                    
                                                
                                
                                
                                
                                
                                          
  
 
                                     
                                                            
                                     
                
           
       
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुमकुम पूजा का विशेष महत्व है। इस पूजा में महिलाएं गणपति की मिट्टी की मूर्ति स्वयं बनाती हैं और उसका विधिवत पूजन करती हैं। पूजा के बाद एक-दूसरे को सुहाग की निशानी जैसे कुमकुम, बिछिया, चूड़ी और सिंदूर भेंट करती हैं। इसे सौभाग्य और अखंड सुहाग का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इस पूजा से परिवार में सुख-शांति, संतान की रक्षा और पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कदमा स्थित बालाजी गणपति विलास प्रांगण में हर साल की तरह इस बार भी कुमकुम पूजा का आयोजन किया गया। शुक्रवार सुबह से ही महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। लाल-पीली साड़ियों में सजी महिलाएं जब एकसाथ गणपति के चरणों में आरती और मंगलगीत गाने लगीं तो पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा।
पूजा स्थल पर महिलाओं ने पहले गणपति को पुष्प, नारियल और लड्डू अर्पित किए। इसके बाद एक-दूसरे के माथे पर कुमकुम और अक्षत लगाकर आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने कहा कि गणपति बप्पा की कृपा से ही जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है। कुमकुम पूजा केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी प्रतीक है।