International News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे रूस से तेल खरीदना बंद करने का आश्वासन दिया है. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस पर आर्थिक दबाव बनाना आवश्यक है और जो देश रूस से तेल खरीदते हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से उस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं. ट्रंप ने कहा कि वे भारत के रूस से तेल खरीदने पर खुश नहीं थे, लेकिन अब उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि भारत इस दिशा में बदलाव करेगा.
ट्रंप ने कहा, "यूक्रेन युद्ध एक ऐसी जंग थी जिसे रूस को एक हफ्ते में समाप्त कर देना चाहिए था, लेकिन चार साल से यह जारी है. मैं इसे खत्म होते देखना चाहता हूं. मैं इस बात से खुश नहीं था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है. आज उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे. यह एक बड़ा कदम है."
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत ऊर्जा सुरक्षा के मामले में अपने नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देता है. उन्होंने कहा, "भारत बड़ी मात्रा में तेल और गैस का आयात करता है. ऊर्जा की लगातार बदलती परिस्थितियों में कीमतों को स्थिर रखना और सप्लाई सुनिश्चित करना हमारा उद्देश्य है." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत वर्षों से अपनी ऊर्जा स्रोतों को विविध बनाने का प्रयास कर रहा है और अमेरिका के साथ ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा जारी है.
व्यापारिक तनाव और अमेरिकी टैरिफ
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया था, जिसे रूस से तेल और हथियार खरीदने के कारण भारत पर “सजा” बताया गया. भारत ने इसे अनुचित और अविवेकपूर्ण करार दिया था. अगस्त से लागू हुए इन टैरिफों ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा दिया. अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने यह स्पष्ट किया कि उसका ऊर्जा आयात बाजार की परिस्थितियों और अपनी 140 करोड़ की आबादी की जरूरतों पर आधारित है.
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस विवाद के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी ट्रंप से डरते हैं और उन्हें भारत की ओर से ऐलान करने देते हैं. राहुल गांधी ने लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप से डरे हुए हैं. वे उन्हें यह घोषणा करने दे रहे हैं कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा."
रूस-भारत ऊर्जा संबंध
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर निष्पक्ष रुख अपनाया है और कई बार कहा है कि उसके लिए ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है. रूस, भारत का एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार है. यूरोपीय थिंक टैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में भारत ने रूस से लगभग 2.5 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा था और वह चीन के बाद रूस के तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा.
रूस से भारत का तेल आयात करीब 1.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहा, जो पिछले महीनों के मुकाबले थोड़ा कम था, लेकिन कुल आयात में मामूली बढ़ोतरी देखी गई. भारत ने इस बात पर भी जोर दिया है कि यूरोप और अमेरिका ने स्वयं रूस के साथ व्यापार पूरी तरह नहीं रोका है, इसलिए भारत को एकतरफा आलोचना करना उचित नहीं.
भारत का रुख स्पष्ट
भारत का कहना है कि ऊर्जा सहयोग और राष्ट्रीय हितों से जुड़े फैसले किसी बाहरी दबाव से नहीं, बल्कि आर्थिक वास्तविकताओं और जनता की जरूरतों के आधार पर लिए जाते हैं. ट्रंप के दावे के बावजूद भारत ने यह संकेत दिया है कि उसकी ऊर्जा नीति स्वतंत्र और व्यावहारिक रहेगी.
रूस के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक रहे हैं और ऊर्जा आयात उसी रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा है. ट्रंप के ताजा बयान के बाद एक बार फिर अमेरिका-भारत संबंधों में संतुलन और रणनीतिक स्वायत्तता की बहस तेज हो गई है.