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  • 2025-10-26

National News: पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड की पत्नी बनी जैश की नई ताकत, अब महिला विंग की कमान संभालेगी अफीरा बीबी

National News: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद एक बार फिर सुर्खियों में है. संगठन ने अपनी महिला विंग “जमात-उल-मोमिनात” में एक बड़ा बदलाव करते हुए अफीरा बीबी को शूरा यानी सलाहकार परिषद का सदस्य बना दिया है. अफीरा वही है जो 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और जैश के टॉप कमांडर उमर फारूक की पत्नी है. अब अफीरा बीबी जैश प्रमुख मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के साथ मिलकर संगठन की महिला इकाई का संचालन करेगी.
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद अब अपने नेटवर्क को एक नए रूप में खड़ा कर रहा है. यह महिला विंग, जमात-उल-मोमिनात, आतंकी संगठन की विचारधारा को महिलाओं तक पहुंचाने का काम कर रही है ताकि उन्हें “धार्मिक शिक्षा” और “सामाजिक कार्यों” के नाम पर संगठन से जोड़ा जा सके. सूत्रों का कहना है कि यह जैश का नया तरीका है जिसके जरिए वह अपने आतंकी नेटवर्क को भीतर से मजबूत करने और समाज में वैचारिक विस्तार करने की कोशिश कर रहा है.

उमर फारूक का नाम भारत के इतिहास के सबसे भयावह आतंकी हमलों में शामिल पुलवामा हमले से जुड़ा हुआ है. 14 फरवरी 2019 को हुए इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे और कई घायल हुए थे. फारूक इस हमले का मास्टरमाइंड था और जैश के आतंकी नेटवर्क का प्रमुख हिस्सा माना जाता था. मार्च 2019 में भारतीय सेना ने उसे कश्मीर के दाचीगाम नेशनल पार्क इलाके में एक ऑपरेशन के दौरान ढेर कर दिया था.

अफीरा बीबी के संगठन में आने के बाद खुफिया एजेंसियों ने चेताया है कि जैश अब अपने आतंकी ढांचे को महिलाओं के जरिए फैलाने की योजना बना रहा है. अफीरा और सादिया अजहर के नेतृत्व में जमात-उल-मोमिनात उन महिलाओं को निशाना बना रही हैं जो धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के नाम पर संगठन से जुड़ रही हैं. यह संगठन उन्हें धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारधारा की ओर मोड़ रहा है. इस पूरे अभियान को “महिला सशक्तिकरण” की झूठी छवि के जरिए संचालित किया जा रहा है ताकि समाज में सहानुभूति हासिल की जा सके और आतंकी गतिविधियों को नया चेहरा दिया जा सके.

अफीरा बीबी को जैश की महिला इकाई में शामिल किया जाना सिर्फ एक संगठनात्मक बदलाव नहीं बल्कि एक रणनीतिक कदम है. यह इस बात का संकेत है कि आतंकी संगठन अब अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए धार्मिक और सामाजिक आवरण का इस्तेमाल कर रहे हैं. महिलाओं की भागीदारी के जरिए जैश अपने प्रचार नेटवर्क को अधिक विश्वसनीय बनाना चाहता है ताकि सुरक्षा एजेंसियों की निगाह से बच सके. पुलवामा हमले के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ जो सख्त रुख अपनाया है, उसने जैश जैसे संगठनों को अपने तौर-तरीके बदलने पर मजबूर किया है. अफीरा बीबी की नियुक्ति उसी बदलाव का हिस्सा है. यह भारत के लिए एक नया खतरा है क्योंकि आतंकवाद अब केवल बंदूक से नहीं, बल्कि विचारों और समाज के नाम पर भी लड़ा जा रहा है.
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