राज्यस्तरीय जांच टीम में एमजीएम अधीक्षक डॉ. आर. के. मंधान और असिस्टेंट ड्रग इंस्पेक्टर गौरव कुमार शामिल थे। टीम ने ब्लड बैंक में रक्त भंडारण की व्यवस्था, परीक्षण प्रक्रिया, सेफ्टी उपकरण, स्टाफ की योग्यता, रिकॉर्ड रखरखाव और ऑनलाइन रिपोर्टिंग सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण मानकों की बारीकी से जांच की।
जांच के मुख्य बिंदु और निर्देश संतोषजनक व्यवस्था
लेकिन तकनीकी सुधार आवश्यक अधिकारियों ने पाया कि एमजीएम ब्लड बैंक की व्यवस्थाएँ काफी हद तक संतोषजनक हैं, लेकिन कुछ तकनीकी सुधार की तत्काल आवश्यकता है। टीम ने आपत्ति जताई कि एमजीएम का नया ब्लड बैंक अभी भी साकची स्थित पुराने ब्लड बैंक के नाम से संचालित हो रहा है, जो नियमानुसार सही नहीं है। इस पर एमजीएम प्रबंधन ने बताया कि नए नाम से लाइसेंस के लिए आवेदन अंतिम चरण में है और जल्द ही नया लाइसेंस जारी होने की उम्मीद है।
 
सीबी नेट मशीन का अभाव
टीम ने पाया कि ब्लड बैंक में अभी तक सीबी नेट मशीन नहीं लगाई गई है। इस अभाव के चलते एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी और सी की जांच के नमूने फिलहाल रांची रिम्स भेजे जा रहे हैं। अधिकारियों ने इस कमी को जल्द दूर करने का निर्देश दिया। इससे पहले बुधवार को केंद्रीय निरीक्षण दल ने भी रिम्स में एक अतिरिक्त सीबी नेट मशीन लगाने का सुझाव दिया था।
  ऑनलाइन प्रणाली का निर्देश रक्त सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
 राज्यस्तरीय टीम ने एमजीएम प्रबंधन को ब्लड बैंक के पूरे कामकाज को पूर्णतः ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ने का सख्त निर्देश दिया। नेताजी सुभाष अस्पताल के ब्लड बैंक की भी जांच इसी बीच, नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के ब्लड बैंक का निरीक्षण भी दो सदस्यीय टीम ने किया। इस टीम में एमजीएम के उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी और ड्रग इंस्पेक्टर गौरव कुमार शामिल थे।
 
टीम ने सभी तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं की जांच की और पाई गई
टीम ने सभी तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं की जांच की और पाई गई खूबियों व कमियों को विस्तृत रिपोर्ट में दर्ज किया।
अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों ब्लड बैंकों की जांच रिपोर्ट शुक्रवार तक तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी जाएगी। यह जांच अभियान राज्य में रक्त सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।