National News: मेनस्ट्रीम मीडिया अक्सर भारत की जीडीपी की तुलना पड़ोसी देशों से करती है लेकिन यह कभी नहीं बताती कि एक टेक कंपनी की वैल्यू ही भारत की अर्थव्यवस्था के बराबर पहुंच गई. ऐपल ने मंगलवार को यह कमाल कर दिखाया जब कंपनी का मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर यानी 352 लाख करोड़ रुपये को छू लिया. वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत की जीडीपी करीब 3.91 ट्रिलियन डॉलर है. इससे साफ है कि विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार से कितना फायदा उठा रही हैं. सरकार दावा करती है गरीबी मिट रही है लेकिन ऐसी कंपनियों में कितने भारतीय काम करते हैं यह जनसंख्या के मुकाबले नगण्य है. इसका मतलब है कि भारतीयों का हुनर विदेशी फर्मों के लिए काम कर रहा है न कि अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए. अगर सरकार हर भारतीय के टैलेंट का सही इस्तेमाल करती तो हम सिर्फ ऐपल के फोन असेंबल नहीं करते बल्कि खुद की सुपर टेक कंपनी चला रहे होते जो ऐपल से कहीं आगे होती. दुनिया जानती है कि टेक सेक्टर में भारतीयों का दबदबा है लेकिन सरकार विदेशी कंपनियों को असेंबली का ठेका देकर खुद की पीठ थपथपाती है. भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनना है न कि कॉपी-पेस्ट का केंद्र.
काउंटरपॉइंट रिसर्च के डेटा से पता चलता है कि अमेरिका और चीन में iPhone 17 की शुरुआती बिक्री पुराने मॉडल से 14 प्रतिशत ज्यादा रही. भारत समेत ग्लोबल मार्केट में iPhone 17 सीरीज ने धूम मचा दी. इस वजह से ऐपल का मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा. कंपनी तीसरी वैल्यूएबल फर्म बन गई. एनवीडिया की वैल्यू 4.71 ट्रिलियन डॉलर और माइक्रोसॉफ्ट की 4.06 ट्रिलियन डॉलर है. ऐपल के शेयर मंगलवार को 269.89 डॉलर तक पहुंचे जिससे वैल्यू 4.005 ट्रिलियन डॉलर हो गई. दिन के अंत में शेयर 0.1 प्रतिशत ऊपर बंद हुए और कंपनी की वैल्यू 3.992 ट्रिलियन डॉलर रही.
iPhone 17 लाइनअप और iPhone Air की डिमांड ने शेयर मार्केट में उछाल ला दिया. लॉन्च के कुछ हफ्तों में ही नया iPhone प्रॉफिट का आधा से ज्यादा योगदान दे रहा है. 9 सितंबर को ग्लोबल मार्केट और भारत में लॉन्च हुई iPhone 17 सीरीज में iPhone 17, iPhone 17 Pro, iPhone 17 Pro Max और iPhone Air शामिल हैं. iPhone Air स्लिम डिजाइन वाला फोन है जिसमें बैक पर सिंगल कैमरा है.
ऐपल का यह मुकाम भारत के लिए दोहरी तलवार है. एक तरफ iPhone 17 की बिक्री से बाजार में भारतीय उपभोक्ता की ताकत दिखती है जो कंपनी को बूस्ट दे रही है. दूसरी तरफ मार्केट वैल्यू जीडीपी के बराबर पहुंचना सवाल उठाता है कि हमारी अर्थव्यवस्था विदेशी टेक पर कितना निर्भर है. सरकार का असेंबली फोकस रोजगार तो देता है लेकिन इनोवेशन की कमी बनी रहती है. अगर भारतीय टैलेंट को प्रोत्साहन मिले तो हम खुद ऐसी कंपनियां खड़ी कर सकते हैं जो वैश्विक स्तर पर ऐपल को चुनौती दें. यह रिपोर्ट भारत को मैन्युफैक्चरिंग से आगे सोचने की चेतावनी देती है.