अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर देश की रक्षा गाथा में आज एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया। जहां आसमान में राफेल की दहाड़, जमीन पर गर्व से चमकती आंखें और इतिहास को महसूस करता हर हिंदुस्तानी, ऐसा एक क्षण जिसने साहस, तकनीक और नारी शक्ति-तीनों को एक साथ सलाम किया।                    
                    
                    
                                    
                                                
                                
                                
                                
                                
                                          
  
 
                                     
                                                            
                                     
                
           
       
गोल्डन ऐरो-शौर्य का सुनहरा निशान
राफेल स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरो ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की आतंकी पनाहगाहों को ध्वस्त कर यह बता दिया है कि भारत की वायु शक्ति सिर्फ मजबूत नहीं, बल्कि निर्णायक भी है। दुश्मन के सैन्य ठिकाने हों या महत्वपूर्ण ढांचे,भारतीय राफेल ने दुश्मन को चेतावनी दी है कि भारत किसी भी चुनौती का जवाब उसी भाषा में देना जानता है।
इस पराक्रम के लिए अंबाला को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार
इस पराक्रम के लिए अंबाला को मिला 26 राष्ट्रपति पुरस्कार। दो वीर चक्र, एक युद्ध सेवा पदक, चार वायु सेना मेडल और 19 मेंशन-इन-डिस्पैचेस। यह सम्मान सिर्फ पदक नहीं, बल्कि उन वीरों के साहस की चमक है जिन्होंने ढाल बनकर देश की सुरक्षा की।
आसमान में नारी शक्ति राष्ट्रपति मुर्मू की राफेल उड़ान
इस ऐतिहासिक दिन का सबसे भावुक पल था, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राफेल में उड़ान भरना। राफेल के पास पहुंचते ही उनके चेहरे पर उत्साह, आत्मविश्वास और एक योद्धा जैसी चमक साफ दिखाई दी। कॉकपिट में बैठकर जब उन्होंने हाथ हिलाया, वो सिर्फ सलामी नहीं थी, वो हर भारतीय महिला के सपनों की उड़ान थी।
राष्ट्रपति ने छुआ इतिहास 
30 मिनट की उड़ान के बाद उतरते ही उनके चेहरे पर खुशी और गर्व झलक रहा था। जैसे उन्होंने आसमान नहीं, बल्कि इतिहास छू लिया हो। उनका परिवार भी गवाह बना इस गौरवशाली पल का। उतरते ही उनकी नन्ही धेवती दौड़कर हाथ में रूमाल लेकर पहुंची, एक मासूम पल जिसने कठोर सैन्य वातावरण में भी स्नेह की मिठास भर दी। राष्ट्रपति ने उसे दुलारते हुए इस क्षण को और भी अविस्मरणीय बना दिया।
अंबाला गौरव और भावनाओं का संगम
राफेल की गूंज, सैनिकों की शान, नेताओं और अधिकारियों की मौजूदगी, लेकिन सबसे बड़ा दृश्य था देशभक्ति का जो हर चेहरे पर साफ दिख रहा था। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, भारत की शक्ति, साहस और नई ऊंचाइयों का उत्सव था।