Capital Of Milk: दुनियाभर में दूध को एक जरूरी खाद्य पदार्थ माना जाता है. यह सेहत के साथ स्वाद भी बढ़ाता है और लगभग हर देश में आसानी से उपलब्ध रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है जिसे दूध की राजधानी कहा जाता है. बहुत से लोग इसका जवाब नहीं जानते और यही वजह है कि इस सवाल को लेकर अक्सर जिज्ञासा बनी रहती है.
दूध की राजधानी के रूप में भारत का नाम सबसे ऊपर आता है. यह सिर्फ एक उपाधि नहीं बल्कि एक लंबे आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की कहानी है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश माना जाता है. यहां गाय, भैंस और अन्य दुग्ध उत्पादक जानवर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. ग्रामीण इलाकों में दूध का कारोबार लोगों की आमदनी का प्रमुख साधन है और लाखों परिवार इसी पर निर्भर रहते हैं.
भारत में दूध उत्पादन की यह स्थिति अचानक नहीं बनी. इसकी शुरुआत 1970 के दशक में हुई जब देश में व्हाइट रेवोल्यूशन के रूप में एक बड़ा बदलाव आया. इस मुहिम ने दूध उत्पादन, वितरण और विपणन की पूरी व्यवस्था को बदल दिया. इसी दौर में अमूल जैसी सहकारी संस्था देश के सामने एक सफल मॉडल बनकर उभरी. व्हाइट रेवोल्यूशन के बाद भारत में दूध उत्पादन तेजी से बढ़ा और आज देश दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन चुका है.
इसी बीच दुनिया के सबसे महंगे दूध की बात करें तो गधी का दूध सबसे ऊपर आता है. भारत में इसकी कीमत पांच हजार से दस हजार रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाती है. इसे खासतौर पर सौंदर्य और स्किन केयर उत्पादों में उपयोग किया जाता है.
भारत को दूध की राजधानी कहा जाना सिर्फ उत्पादन के आंकड़ों पर आधारित नहीं है. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सहकारिता मॉडल, सामाजिक बदलाव और करोड़ों परिवारों की आजीविका से जुड़ा हुआ विषय है. व्हाइट रेवोल्यूशन ने भारत को न सिर्फ खाद्य सुरक्षा के मामले में मजबूत किया बल्कि ग्रामीण आय के नए रास्ते भी खोले. हालांकि आज भी कई क्षेत्रों में संरचना, भंडारण और बाजार की चुनौतियां बनी हुई हैं. इसके बावजूद भारत की दुग्ध क्षमता आने वाले वर्षों में दुनिया के दूध व्यवसाय को दिशा देने की ताकत रखती है.