World Tribal Day: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर रामचंद्रपुर फुटबॉल मैदान में शनिवार को विश्व आदिवासी सावता सुसार अखड़ा की ओर से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक सह अखड़ा के संयोजक चंपाई सोरेन शामिल हुए।
वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में घाटशिला विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी और भाजपा नेता बाबूलाल सोरेन, सरायकेला खरसावां जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, पूर्व मुख्यमंत्री के बड़े सुपुत्र सिमल सोरेन, छोटे सुपुत्र बबलू नाथ सोरेन, अखड़ा के जिला संयोजक रामदास टुडू आदि शामिल हुए. इससे पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री का गुलदस्ता देकर स्वागत किया. पूर्व मुख्यमंत्री ने सभी को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के आंदोलन का लम्बा इतिहास रहा है।
आज उन सभी महान क्रांतिकारियों को नमन करने का दिन है. भागवत होने के कारण झारखंड राज्य बना. आदिवासियों की महान परंपरा रही है, पूर्व मुख्यमंत्री ने इशारों में राज्य सरकार पर निशाना सदा, मदर टेरेसा क्लीनिक, धर्मांतरण और संथाल परगना से लेकर चाकुलिया तक हो रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने सरकार राज्य पर आदिवासी- मूलवासियों को धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने अलग झारखंड राज्य दिया. ओलचीकी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध किया।
आज उनके नाम से संचालित अटल क्लिनिक का नाम मदर टेरेसा के नाम से कर सरकार ने मानसिकता दर्शा दी है. उन्होंने आदिवासी समाज से एकजुट होकर अपने अधिकार के लिए सजग रहने की अपील की।
उन्होंने सरकार को आदिवासियों मामले पर पूरी तरह विफल करार दिया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के संघर्ष का लम्बा इतिहास रहा है. ब्रिटिश हुकूमत से अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में हमारे सामान सैकड़ो लोगों ने अपनी कुर्बानियां दी, दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी. आज महाजन तो नहीं रहे उनकी जगह बिल्डरों ने ले लिया।
उन्होंने कहा कि सीएनटी/ एसपीटी एक्ट का खुला उल्लंघन कर फर्जी पेपर बनाकर बिल्डर हमारी जमीन लूट रहे हैं. उन्होंने रांची के नगड़ी में रिम्स- 2 के लिए जमीन का हो रहे अधिग्रहण का विरोध किया. उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि 24 अगस्त को नगड़ी की जमीन पर लाखों आदिवासियों के साथ हल चालने जायेंगे. सरकार में यदि ताकत है तो रोक ले. हमने उस पार्टी को छोड़ा जिसे अपने खून- पसीने से सींचा, चंपाई सोरेन आंदोलन की उपज हैं. चंपई सोरेन ने किसी आंदोलन को बेचा नहीं. गरीब, आदिवासी, मूलवासी और मजदूरों को उनका हक दिलाया. 22 अगस्त को मैं भोगनाडीह जाऊंगा. पांच लाख आदिवासी वहां जुटेंगे।
उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा यदि उन्हें रोक सकती है तो रोक ले. सिदो- कान्हु के वंशजों पर लाठी चलाकर कायरता का परिचय सरकार ने दिया, संथाल परगना में डेमोग्राफी किसी कीमत पर बदलने नहीं देंगे. मंच को जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, बाबूलाल सोरेन, रामदास टुडू आदि ने सम्बोधित किया. इससे पूर्व दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की याद में दो मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी।