Jamshedpur: राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो (NHRCCB) के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव विनय कुमार चंद्रा ने एक बड़े हस्तक्षेप में एक्सिस बैंक लिमिटेड की गंभीर लापरवाही और मनमानी को उजागर किया है। मामला एक थाई पर्यटक को वैध बैंकिंग सुविधा न देने और उसके बाद शिकायत निवारण को बाधित करने का है, जिसने भारत की वैश्विक छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
03 अगस्त 2025 को थाई नागरिक सुश्री कमोनपान जाईदी (पासपोर्ट AC4856186, टूरिस्ट वीज़ा वैध 19 जून 2026 तक) ने एक्सिस बैंक, वोल्टास हाउस, बिस्टुपुर शाखा, जमशेदपुर में एनआरओ खाता खोलने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज (पासपोर्ट, वीज़ा, फोटो, फॉर्म 60 आदि) जमा किए।
इसके बावजूद 26 अगस्त 2025 को बैंक ने आवेदन अवैध रूप से खारिज कर दिया और OCI/PIO कार्ड की माँग की, जो किसी विदेशी पर्यटक के लिए असंभव और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के खिलाफ़ है।
बैंक की आंतरिक ईमेल से खुलासा हुआ कि आवेदन को गलत श्रेणी (PBNRE – NRE/PIO स्कीम) में डाल दिया गया, जबकि सही विकल्प एनआरओ टूरिस्ट खाता था। यह गंभीर परिचालनिक त्रुटि है।
एनएचआरसीसीबी का हस्तक्षेप
जब पीड़ित की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो उसने श्री विनय कुमार चंद्रा से मदद माँगी। श्री चंद्रा ने तुरंत मामले को आगे बढ़ाया और आधिकारिक क्षमता में एक्सिस बैंक के शिकायत निवारण चैनलों से संपर्क किया।
लेकिन समस्या सुलझाने के बजाय, बैंक के सर्कल नोडल अधिकारी ने टालमटोल वाला जवाब दिया और फिर एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए श्री चंद्रा के एनजीओ के आधिकारिक ईमेल आईडी को स्पैम कर दिया, जिससे शिकायत की प्रक्रिया को ही रोक दिया गया।
यह गंभीर बाधा डालने का कृत्य है, जिसके बाद श्री चंद्रा ने मामला सीधे आरबीआई, वित्त मंत्रालय और मीडिया तक पहुँचाया।
नियामकीय और कानूनी उल्लंघन
- श्री चंद्रा ने इंगित किया कि एक्सिस बैंक की कार्रवाई निम्नलिखित का उल्लंघन करती है:
- RBI मास्टर सर्कुलर व FAQs: एनआरओ खाता विदेशी नागरिकों (ग़ैर-भारतीय मूल) के लिए अनुमत है।
- RBI इंटीग्रेटेड ओम्बड्समैन स्कीम, 2021: सेवा से इनकार और संचार में बाधा = सेवा में कमी।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: अनुचित व्यापार प्रथा व हर्जाना देने योग्य।
न्यायिक मिसालें: एलडीए बनाम एम.के. गुप्ता (1994) और सुरेश कुमार बनाम पीएनबी (2019) — मनमानी व सेवा में कमी पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान।
नायक का वक्तव्य
“यह केवल एक पर्यटक के खाते का मामला नहीं है। यह भारत की अंतर्राष्ट्रीय साख और विदेशी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा का प्रश्न है। किसी भी बैंक को यह अधिकार नहीं है कि वह नियमों की अवहेलना करे और शिकायत करने वाले संगठनों की आवाज़ दबाए। जब तक न्याय नहीं होता, मैं इस लड़ाई को जारी रखूँगा।”
— विनय कुमार चंद्रा, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव, NHRCCB
एनएचआरसीसीबी की माँगें
- सुश्री जाईदी का एनआरओ खाता तत्काल खोला जाए।
- लिखित माफ़ी दी जाए, पीड़ित और NHRCCB दोनों को।
- ₹50,000 क्षतिपूर्ति दी जाए उत्पीड़न, देरी और संवेदनशील दस्तावेज़ों के गलत इस्तेमाल के लिए।
- जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई हो (खाता खोलने वाली कार्यकारी अंकिता कुमारी और प्रबंधक आलोक पांडे सहित)।
यह घटना यह साबित करती है कि भारत की बैंकिंग व्यवस्था को विदेशी नागरिकों के प्रति अधिक पारदर्शी और जवाबदेह होना होगा। विनय कुमार चंद्रा के साहसिक हस्तक्षेप ने न केवल एक पर्यटक के अधिकारों की रक्षा की है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित रहे।