सोचिए, अगर आने वाले कुछ सालों में हमारी रोज़मर्रा की लगभग हर नौकरी गायब हो जाए और वजह न युद्ध हो, न महामारी, न ही आर्थिक संकट। असली कारण होंगी वो मशीनें, जो इंसानों से कहीं ज़्यादा तेज़, सटीक और असरदार काम कर पाएंगी।
अमेरिका की लुइसविल यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर रोमन यामपोल्स्की का दावा है कि साल 2027 तक आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) हमारे सामने होगी और जब यह तकनीक आएगी, तो यह सिर्फ दफ्तरों या टेक सेक्टर की नौकरियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दुनिया के लगभग हर पेशे को हिला कर रख देगी।
उनका अनुमान है कि सबसे पहले कंप्यूटर आधारित काम पूरी तरह ऑटोमेट हो जाएंगे। इसके बाद, ह्यूमनॉइड रोबोट मैदान में उतरेंगे, और अगले पांच वर्षों में यानी 2030 तक शारीरिक श्रम भी मशीनों के हवाले हो सकता है।
प्रोफेसर यामपोल्स्की का सबसे डरावना आंकड़ा बेरोज़गारी से जुड़ा है। वे कहते हैं कि भविष्य में यह दर 99% तक पहुंच सकती है। इतनी बड़ी तबाही इंसानी इतिहास ने पहले कभी नहीं देखी। इससे अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा भी सकती है।
लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि खतरा सिर्फ नौकरी छिनने तक सीमित नहीं होगा। प्रोफेसर का कहना है कि काम सिर्फ आय का ज़रिया नहीं है, बल्कि यह इंसान को पहचान, सम्मान और जीने का मकसद देता है। अगर यह छिन गया, तो इंसान अपनी भूमिका और अस्तित्व को लेकर असमंजस में पड़ जाएगा।
वे उदाहरण देते हैं की प्लंबर, शेफ या ड्राइवर सब यही मानते हैं कि उनका काम मशीन रिप्लेस नहीं कर सकती। मगर AI इतनी तेज़ी से विकसित हो रहा है कि आने वाले वर्षों में रोबोट गाड़ी भी चला सकेंगे, खाना भी पका सकेंगे और यहां तक कि क्लासरूम और स्टूडियो भी संभाल लेंगे।
हालांकि, इस बदलाव से अपार संपत्ति और यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) जैसी योजनाएं भी संभव हो सकती हैं। मगर प्रोफेसर की चेतावनी साफ है की "पैसा समस्या का हल तो दे सकता है, लेकिन असली सवाल यह होगा कि जब काम ही नहीं रहेगा, तो इंसान अपनी पहचान किससे करेगा?"
जब मशीनें हर भूमिका अपने हाथ में ले लेंगी, तो इंसानों के लिए सबसे बड़ा संकट यही होगा की हम तब क्या करेंगे? और आखिरकार, हम तब कौन होंगे?