Jharkhand News: छठ महापर्व नजदीक आते ही रांची से बिहार लौटने वाले यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है. पर्व की शुरुआत शनिवार से नहाय-खाय के साथ होने जा रही है, लेकिन उससे पहले ही घर लौटने वालों की भीड़ ने बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों की व्यवस्था चरमरा दी है. रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड से बिहार के लिए चलने वाली लगभग 90 प्रतिशत बसों की सीटें अगले दो दिनों के लिए पूरी तरह भर चुकी हैं. यात्रियों की बढ़ती संख्या का फायदा उठाते हुए बस संचालकों ने किराए में मनमाना इजाफा कर दिया है.
रांची से पटना जाने वाली एसी बसों का किराया अब हवाई यात्रा के बराबर पहुंच गया है. ऑनलाइन बुकिंग में स्लीपर एसी बसों का किराया 1500 से 2500 रुपये तक लिया जा रहा है, जबकि सामान्य सीट के लिए 1000 से 1500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं. दरभंगा और समस्तीपुर जाने वाली बसों में भी यही स्थिति है. टिकट एजेंटों ने मौके का फायदा उठाते हुए 200 से 500 रुपये तक अतिरिक्त वसूली शुरू कर दी है. कई यात्री सीट न मिलने पर खड़े होकर या बस की बोनट पर बैठकर सफर करने को मजबूर हैं. लोगों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि अतिरिक्त बसें चलाई जाएं ताकि श्रद्धालु सुरक्षित घर पहुंच सकें.
रेलवे की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है. छठ पर्व को देखते हुए रेलवे ने कुछ विशेष ट्रेनों की घोषणा की थी, लेकिन उनमें भी सीटें कुछ ही घंटों में भर गईं. रांची से गोरखपुर, जयनगर, कामाख्या, दुर्ग और गोंदिया के लिए चलने वाली छठ स्पेशल ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट बन चुकी है. गोंदिया–पटना ट्रेन में स्लीपर क्लास में 100 से ज्यादा आरएसी और थर्ड एसी में 25 वेटिंग हैं, जबकि दुर्ग–पटना ट्रेन में स्लीपर में 20 वेटिंग और थर्ड एसी में करीब 50 सीटें ही खाली हैं. रेलवे की ओर से कहा गया है कि आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त कोच जोड़े जा सकते हैं, लेकिन यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
अब उड़ान भरने वालों की मुश्किलें भी कम नहीं हैं. रांची से पटना फ्लाइट के टिकटों के दाम इस समय रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. सामान्य दिनों में जहां किराया 2500 से 2700 रुपये तक रहता है, वहीं छठ पर्व के दौरान एयरलाइंस ने टिकट के दामों में पांच गुना तक बढ़ोतरी कर दी है. 25 अक्टूबर को किराया 12,193 रुपये, 26 अक्टूबर को भी 12,193 रुपये, 27 अक्टूबर को 9,666 रुपये, 28 अक्टूबर को 4,600 रुपये और 29 अक्टूबर को फिर बढ़कर 13,520 रुपये तक पहुंच गया है.
ऐसे में यात्रियों की जेब पर महापर्व का महाभार पड़ रहा है. सीमित सीटों और बढ़ती भीड़ के कारण कई लोग अपने परिवार के साथ घर लौटने में असमर्थ हैं. स्टेशन, बस स्टैंड और एयरपोर्ट पर भारी अफरा-तफरी का माहौल है. कई लोग टिकट कैंसिल होने और ज्यादा किराया चुकाने की शिकायत कर रहे हैं.
छठ महापर्व पर हर साल बिहार लौटने वाली भीड़ एक बड़ा ट्रैवल पैटर्न बन चुकी है, लेकिन हर बार सरकार और परिवहन एजेंसियां इसके लिए पर्याप्त तैयारी नहीं कर पातीं. इस बार भी स्थिति वैसी ही है. बस और ट्रेन ऑपरेटरों ने श्रद्धालुओं की मजबूरी का फायदा उठाकर किराए बढ़ा दिए हैं. फ्लाइट कंपनियों ने भी दामों को आसमान पर पहुंचा दिया है. यह स्थिति बताती है कि त्योहारों के दौरान परिवहन व्यवस्था की निगरानी और नियंत्रण को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है. जरूरत इस बात की है कि प्रशासन पहले से मांग का आकलन करे, अतिरिक्त बसें और ट्रेनें चलाए और किराए पर नियंत्रण के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे ताकि श्रद्धा का यह महापर्व लोगों के लिए आर्थिक बोझ न बन जाए.