इस वर्ष एक अनूठी पहल
रेलवे बोर्ड के निर्देश पर शुरू की गई इस पहल ने यात्रियों के मन को भावविभोर कर दिया है। विशेषकर महिला यात्रियों में उत्साह देखने को मिल रहा है, कई यात्री स्टेशन पर ही गीतों के साथ गुनगुनाते हुए नजर आएं। यात्रियों का कहना है कि स्टेशन पर यह अनुभव उन्हें “घर और छठ घाट” की याद दिला रहा है।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि छठ पूजा तक 24 घंटे स्टेशन पर छठ गीतों के साथ
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि छठ पूजा तक 24 घंटे स्टेशन पर छठ गीतों के साथ ट्रेन संबंधित घोषणाएं प्रसारित की जाएंगी। पूर्व रेलवे के सीपीआरओ के अनुसार, यह पहल भागलपुर, पटना, धनबाद, हावड़ा समेत सभी प्रमुख स्टेशनों पर लागू की गई है, ताकि यात्रियों को लोक संस्कृति से जुड़ाव का एहसास हो सके।
25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हुए चार दिवसीय छठ
25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हुए चार दिवसीय छठ अनुष्ठान ने पूरे पूर्वी भारत को आस्था के रंग में रंग दिया है। सड़कों से लेकर बाजारों, बसों, ऑटो और टोटो तक में “छठ मइया” के गीत गूंज रहे हैं। “कांच ही बांस के बहंगिया”, “रुनकी-झुनकी बेटी मांगीला”, “पहिले पहिल छठी मइया” जैसे पारंपरिक गीत लोगों के मन में श्रद्धा का भाव जगा रहे हैं।
रेलवे की इस सांस्कृतिक पहल ने न केवल यात्रा
रेलवे की इस सांस्कृतिक पहल ने न केवल यात्रा अनुभव को विशेष बनाया है, बल्कि यात्रियों को अपनी मिट्टी, संस्कृति और लोक परंपरा से जोड़ने का कार्य भी किया है। आस्था, संगीत और संस्कृति के संगम से छठ पर्व की यह झलक अब रेलवे स्टेशनों पर भी देखने को मिल रही है।