Jamshedpur Crime News: जमशेदपुर शहर में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि व्यापारी अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. छठ पर्व की हलचल के बीच अपराध का बाजार भी गर्म हो गया है. कानून व्यवस्था चुनावी आचार संहिता के साये में कमजोर पड़ी है और इसी का फायदा उठा रहे हैं अपराधी.                    
                    
                    
                                    
                                                
                                
                                
                                
                                
                                          
  
 
                                     
                                                            
                                     
                
           
       इस पूरे खेल की पटकथा लिखी थी दशरथ शुक्ला ने. शुक्ला ने अपने निजी फायदे के लिए शहर के व्यापारियों को निशाना बनवाया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दशरथ शुक्ला ने सुजीत सिन्हा से पलामू जेल में खुद को अखिलेश सिंह के गिरोह का खास सदस्य बताया था. उसने दावा किया था कि उसके संबंध अखिलेश सिंह से हैं. जबकि असलियत में वह अखिलेश सिंह के गुर्गों के साथ घूमता फिरता था. इसी झांसे में आकर सुजीत सिन्हा ने उस पर भरोसा कर लिया. क्योंकि सुजीत सिन्हा का अखिलेश सिंह से कोई संपर्क नहीं था इसलिए उसने शुक्ला की बातों में आ गया. 
दोनों के बीच डील फाइनल हुई कि जमशेदपुर के व्यापारियों से संगठित तरीके से रंगदारी वसूली जाएगी. इस रकम का कुछ हिस्सा दशरथ शुक्ला और बाकी पैसे सुजीत सिन्हा को जाता. अखिलेश सिंह को इस बात की भनक नहीं लगती. इसके बाद शुक्ला ने इस डील का सबसे पहले इस्तेमाल अपने निजी बदले के लिए किया.
दशरथ शुक्ला की हरीश सिंह से पुरानी दोस्ती थी. हरीश, शहर के बड़े व्यापारी हरेराम सिंह का बेटा है. ऐसा माना जाता हैं कि दोनों के बीच एक कारोबारी डील को लेकर मतभेद हो गया था. डील फाइनल न होने पर दशरथ ने हरीश से बदला लेने की ठान ली. उसने सुजीत सिन्हा को बताया कि जमशेदपुर में रंगदारी की शुरुआत हरीश सिंह से करनी चाहिए. सुजीत ने उसे हथियार मुहैया कराए.
इसके बाद दशरथ शुक्ला जमशेदपुर पहुंचा और लोकल शूटर्स को संगठित किया. 5 से 10 हजार में शूटर्स तैयार हो गए और यब भी लालच दिया गया कि रंगदारी में उन्हें भी हिस्सा मिलेगा. 
इसके बाद उसने हरीश सिंह को मारने की योजना बनाई और फिर उसके घर पर फायरिंग करवा दी. शहर में फायरिंग की यह घटना व्यापारी वर्ग के बीच दहशत फैलाने के लिए थी, ताकि बाकी व्यापारी डरकर पैसा दें. इस घटना को अंजाम देने के लिए शुक्ला प्रिंस खान गैंग के इनामुल हक उर्फ बबलू खान, रवि आनंद उर्फ सिंघा, मो. शाहिद उर्फ अफरीदी खान, मो. सेराज उर्फ मदन के संपर्क में था.
दशरथ शुक्ला के करीबी मित्रों की माने तो वह बड़बोला और दिखावे का शौकीन था. वह अक्सर हरीश सिंह के ऑफिस में बैठता था और दोनों की बीच अच्छी दोस्ती थी.
सूत्रों की मानें तो पुलिस को इस नए गिरोह की भनक पहले से थी, लेकिन भय का माहौल न बने इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया. जांच अब भी जारी है और कई व्यापारी अब भी दबाव में हैं.
बीती रात शहर के जुगसलाई और गोलमुरी में दो घंटे के भीतर दो फायरिंग की घटनाएं हुईं. इससे साफ है कि अपराधी अब बेखौफ हैं. अवैध हथियार लगातार शहर में पहुंच रहे हैं और पुलिस प्रशासन इस नेटवर्क को ध्वस्त नहीं कर पा रही हैं.
जबकि जिले में तीन आईपीएस अधिकारी तैनात हैं. बावजूद इसके अपराध नियंत्रण में नहीं है. छठ पर्व की शुरुआत के साथ ही लोगों के मन में भय का माहौल बनता जा रहा है. नए गिरोह खड़े हो रहे हैं और पुराने गैंगस्टर जेलों से ही संचालन कर रहे हैं.
यह साफ हो गया है कि जमशेदपुर में अब आपसी दुश्मनी और निजी फायदे के लिए नए आपराधिक नेटवर्क का अखाड़ा बन चुका है.