Crime News: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के देवमबीर गांव में शुक्रवार रात एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई. ग्रामीणों ने रेप का आरोप लगाकर एक व्यक्ति को चप्पलों की माला पहनाई, नंगे बदन गांव में घुमाया और फिर उसकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में शिकायत मिलने के बाद हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
सोनुआ थाना प्रभारी शशिबाला भेंगरा ने बताया कि यह घटना सोनुआ थाना क्षेत्र के टेपसाई टोला में हुई. मृतक की पहचान साइमन तिर्की के रूप में हुई है. शुक्रवार देर रात वह शौच के लिए घर से बाहर गया था, तभी कुछ ग्रामीणों ने उसे पकड़ लिया. उस पर गांव की एक मानसिक रूप से बीमार महिला के साथ बलात्कार का आरोप लगाया गया. इसके बाद ग्रामीणों ने उसे अपमानित करने के लिए चप्पलों की माला पहनाई और नंगे बदन पूरे गांव में घुमाया. फिर उसे एक कमरे में बंद कर लाठियों से उसकी पिटाई की गई. अगले दिन जब कमरे का दरवाजा खोला गया, तो वह मृत पाया गया. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर चाईबासा के सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
चक्रधरपुर के अनुमंडल पुलिस अधिकारी शिवम प्रकाश ने बताया कि इस मामले में दो महिलाओं को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है. मृतक के परिवार की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है. दूसरी ओर, मानसिक रूप से बीमार महिला के परिवार ने भी साइमन के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस दोनों पक्षों की शिकायतों की जांच कर रही है. गांव में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है. पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या भीड़ को किसी ने उकसाया था या यह गुस्से में की गई कार्रवाई थी. भीड़ में शामिल लोगों की पहचान करने का प्रयास जारी है.
यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में कानून को अपने हाथ में लेने की गंभीर समस्या को उजागर करती है. रेप जैसे जघन्य अपराध का आरोप निश्चित रूप से गुस्सा पैदा करता है, लेकिन भीड़ द्वारा हिंसा और हत्या का रास्ता अपनाना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक व्यवस्था के लिए भी खतरनाक है. मानसिक रूप से बीमार महिला के साथ कथित रेप का मामला संवेदनशील है और इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है, लेकिन साइमन की मौत ने मामले को और जटिल बना दिया. यह घटना दर्शाती है कि ग्रामीण इलाकों में जागरूकता और कानूनी शिक्षा की कमी है, जिसके कारण लोग त्वरित और हिंसक "न्याय" की ओर बढ़ते हैं. पुलिस की त्वरित कार्रवाई और अतिरिक्त बल की तैनाती से तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश सराहनीय है, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम और सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है. यह मामला समाज से सवाल उठाता है कि क्या हमारी व्यवस्था में कमजोर वर्गों की सुरक्षा और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने की पर्याप्त व्यवस्था है.