Bihar Elections 2025: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और बिहार इलेक्शन वॉच ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के उम्मीदवारों पर रिपोर्ट जारी की है. हलफनामों के विश्लेषण से कई हैरान करने वाले तथ्य निकले हैं. कुल 1303 उम्मीदवारों में हर तीसरा यानी 432 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें गंभीर आरोप जैसे हत्या धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार शामिल हैं. रिपोर्ट बताती है कि राजनीति में अपराध का बोलबाला बढ़ रहा है.                    
                    
                    
                                    
                                                
                                
                                
                                
                                
                                          
  
 
                                     
                                                            
                                     
                
           
       RJD में 76 और भाजपा में 65 फीसदी उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले
पार्टियों में सबसे ज्यादा आपराधिक उम्मीदवार आरजेडी में हैं जहां 70 में से 53 यानी 76 फीसदी पर केस हैं. बीजेपी के 48 में से 31 (65 फीसदी) कांग्रेस के 23 में से 15 (65 फीसदी) और जन सुराज के 114 में से 50 (44 फीसदी) उम्मीदवारों पर भी मामले हैं. जेडीयू के 57 में से 22 (39 फीसदी) आप के 44 में से 12 (27 फीसदी) और बीएसपी के 89 में से 18 (20 फीसदी) पर केस दर्ज हैं. वाम दलों में हालात और खराब हैं सीपीआई एमएल के 14 में से 13 (93 फीसदी) सीपीआई और सीपीआई एम के सभी उम्मीदवारों (100 फीसदी) पर आपराधिक मामले हैं.
519 उम्मीदवार हैं करोड़पति
रिपोर्ट में धनबल का भी जिक्र है. 1303 में से 519 यानी 40 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं और उनकी औसत संपत्ति 3.26 करोड़ रुपये है. शिक्षा के मामले में 519 उम्मीदवारों ने 5वीं से 12वीं तक की योग्यता बताई जबकि 651 यानी 50 फीसदी ने स्नातक या उससे ऊपर की डिग्री का दावा किया. अपराध पैसे और शिक्षा का यह मिश्रण बिहार की राजनीति में सवाल खड़े करता है.
लोकतंत्र के लिए खतरा?
ADR रिपोर्ट बिहार चुनाव की कड़वी सच्चाई उजागर करती है जहां अपराध और धन राजनीति का आधार बन गए हैं. हर तीसरा उम्मीदवार क्रिमिनल होना लोकतंत्र के लिए खतरा है खासकर जब पार्टियां गंभीर मामलों वाले चेहरों को टिकट दे रही हैं. करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या बढ़ना पैसे की ताकत दिखाती है जबकि शिक्षा का दावा नैतिकता पर सवाल उठाता है. वोटरों को जागरूक होना होगा ताकि अपराधी तत्व सत्ता से दूर रहें. यह रिपोर्ट सुधार की मांग करती है वरना बिहार का भविष्य अंधेरे में रहेगा.