जानकारी के अनुसार
अब तक चार रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट, लुकोइल, सुरगुटनेफ्टेगास पीएओ और गजप्रोम नेफ्ट पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। हालांकि, भारत को सबसे ज्यादा तेल आपूर्ति करने वाली रोसनेफ्ट लगभग 45% तेल प्रवाह का प्रबंधन करती है, लेकिन वह वास्तविक उत्पादक नहीं बल्कि एक एग्रीगेटर (संग्राहक) के रूप में काम करती है। इस कारण अन्य गैर-प्रतिबंधित संस्थाओं के जरिये आपूर्ति संभव बनी रहेगी।
अनुज जैन ने कहा
IOC के निदेशक (वित्त) अनुज जैन ने कहा, “जब तक हम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन कर रहे हैं, रूसी कच्चे तेल की खरीद पूरी तरह से बंद नहीं होगी। रूसी तेल पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं है।”
भारतीय रिफाइनरियों ने 
हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारतीय रिफाइनरियों ने फिलहाल कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है। वे मौजूदा स्थिति का आकलन कर रही हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय नियमों और प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन न हो।
सुरक्षा नीति के तहत
भारत फिलहाल अपनी ऊर्जा सुरक्षा नीति के तहत सस्ते और स्थिर तेल स्रोतों की तलाश में है, और रूस इससे जुड़ा एक प्रमुख भागीदार बना हुआ है।