Big National News: जनता प्रदूषण की मार झेल रही है और नेता एवं नौकरशाह एयर प्यूरीफायर की हवा में मौज कर रहे हैं. एक्यूआई कितना भी खराब हो सरकारों को फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनके दफ्तरों में महंगे प्यूरीफायर लगे हैं. मिडिया रिपोर्ट्स की माने तो 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय सहित कई सरकारी विभागों के लिए 140 एयर प्यूरीफायर खरीदे गए थे.                    
                                                
                                
                                
                                
                                
                                          
  
 
                                     
                                                            
                                     
                
           
       
अक्टूबर 2025 में प्रधानमंत्री के पास एक प्यूरीफायर की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. 2017 में कपिल मिश्रा ने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल के घर में सात प्यूरीफायर थे. अक्टूबर 2025 में दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय के लिए 15 प्यूरीफायर खरीदने का आदेश हुआ जिसकी कीमत 5.45 लाख रुपये थी. विपक्ष ने इसे पाखंड बताया क्योंकि सरकार दिवाली पर पटाखे जलाने को बढ़ावा दे रही थी. रेखा गुप्ता अपने आवास पर 60 लाख रुपये खर्च कर चुकी हैं. गृह मंत्रालय ने 44 प्यूरीफायर खरीदे जबकि पीएमओ के संसद भवन दफ्तरों के लिए 25 यूनिट ली गईं. नीति आयोग में संयुक्त सचिव स्तर के ऊपर के अधिकारियों को प्यूरीफायर दिए गए. दिल्ली जैसे शहरों में नेताओं के निजी घरों में भी प्यूरीफायर होने की बात है.
लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में वायु प्रदूषण से 25 लाख मौतें होती हैं जिनमें 70 फीसदी यानी 17 लाख 72 हजार भारत में होती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट तैयार की. मौतों की वजह पीएम 2.5 है जो 2.5 माइक्रोन से छोटे कण हैं. ये फेफड़ों में घुसकर नुकसान पहुंचाते हैं. गाड़ियां फैक्टरियां पराली जलाना धूल कंस्ट्रक्शन और घरेलू ईंधन से फैलते हैं. 2010 से मौतें 38 प्रतिशत बढ़ीं. फॉसिल फ्यूल से 44 प्रतिशत यानी 7 लाख 52 हजार मौतें होती हैं. कोयला पावर प्लांट से 2 लाख 98 हजार और पेट्रोल से 2 लाख 69 हजार मौतें. जंगल की आग से 2020 से 2024 तक औसतन 10 हजार 200 मौतें हुईं. 2022 में प्रति लाख पर 113 मौतें हुईं. ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी से ज्यादा. 2024 में हीटवेव 50 प्रतिशत बढ़ा जो 366 अतिरिक्त घंटे हीट स्ट्रेस के बराबर है.
यह रिपोर्ट और प्यूरीफायर खरीदारी नेताओं की दोहरी नीति उजागर करती है. जनता पीएम 2.5 से मर रही है और सरकारें खुद को बचाने में लगी हैं. 70 फीसदी मौतें भारत में होना शर्मनाक है लेकिन प्यूरीफायर खरीदना पाखंड है. फॉसिल फ्यूल और पराली पर सख्ती की बजाय पटाखे बढ़ावा देना नीति की कमजोरी दिखाता है. ग्रामीण मौतें ज्यादा होना बताता है कि गरीब सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. हीटवेव बढ़ना जलवायु संकट की चेतावनी है. सरकारों को प्यूरीफायर से आगे सोचना होगा और जनता के लिए साफ हवा सुनिश्चित करनी होगी वरना भविष्य अंधकारमय है.