पिछले साल भी यूसील कॉलोनी में डेंगू के कई मरीज मिले थे, जिनमें दो शिक्षकों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद प्रबंधन में कोई सुधार नहीं दिखा। नालियों की सफाई, डी.डी.टी. छिड़काव और फॉगिंग जैसे बुनियादी कदम भी नहीं उठाए जा रहे। डस्टबिन की समय पर सफाई न होने से पूरे इलाके में दुर्गंध फैल रही है और लोगों का जीना दूभर हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, कॉलोनी की सफाई का ठेका मनोरंजन सिंह को मिला है, लेकिन जिम्मेदारी मिलने के बाद से सफाई व्यवस्था और बिगड़ गई है। यहां तक कि अधिकारियों के डी-टाइप क्वार्टर के सामने भी गंदगी का ढेर लगा रहता है। ठेकेदारों द्वारा कम दर में टेंडर लेने के कारण काम की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
यूसील संपदा विभाग के अधिकारी दिलीप कुमार मंडल पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, बावजूद इसके वे पिछले 20 वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं। डीजीएम राकेश कुमार द्वारा भी कॉलोनी की गंदगी को लेकर फटकार लगाई जा चुकी है, लेकिन स्थिति जस की तस है।
कॉलोनी की सफाई के लिए 24 ठेका कर्मी नियुक्त हैं, मगर ज्यादातर को अधिकारियों के क्वार्टर की सफाई में लगा दिया जाता है। कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से यूसील को चूना लगाया जा रहा है। पहले स्थायी कर्मियों के द्वारा सफाई की जिम्मेदारी निभाई जाती थी, तब कॉलोनी साफ-सुथरी और सुंदर दिखती थी, लेकिन ठेका प्रणाली आने के बाद से यूसील कॉलोनी बदहाल हो गई है।