Dishom Guru Shibu Soren: दिशोम गुरु शिबू सोरेन के दशकर्म श्राद्धकर्म के पावन अवसर पर रामगढ़ नेमरा की पावन भूमि पर इतिहास रच दिया गया। इस भावपूर्ण श्रद्धांजलि कार्यक्रम में लगभग 10 लाख रसगुल्ले स्नेह, भक्ति और सेवा भाव से तैयार किए गए हैं, जो को प्रसाद के रूप में वितरित किए जाएंगे।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि जनआस्था, अनुशासन और संगठन की मिसाल बन गया है। गाँव-गाँव से आए हजारों सेवकों ने दिन-रात मेहनत कर इस भव्य प्रसाद की व्यवस्था सुनिश्चित की है।
गुरुजी के प्रति यह सेवा न केवल मिष्ठान्न वितरण है, बल्कि एक भावनात्मक समर्पण भी है, जिसमें हर रसगुल्ला उनके विचारों और विरासत को "मिठास" की तरह जनमानस में घोलता प्रतीत होता है।