पड़ोसी ने किया भरोसे का फ़ायदा       
       
      
  
मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ठग और पीड़िता दोनों पड़ोसी हैं। पुलिस के मुताबिक, वादी दीक्षा महतो और आरोपी प्रसन्नजीत नाहा, कदमा के रामनगर रोड नंबर 2 में रहते हैं। दीक्षा ने अपने पड़ोसी प्रसन्नजीत पर विश्वास कर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर उसे 9.50 लाख रुपये सौंप दिए। आरोपी ने पैसे लेने के बाद उन्हें एक फर्जी नियुक्ति पत्र भी सौंपा, जिससे दीक्षा को लगा कि उनकी नौकरी पक्की हो गई है। लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो उनके होश उड़ गए।
पहले भी कर चुका है जालसाजी
जांच में पता चला है कि प्रसन्नजीत नाहा पहले भी इस तरह की ठगी कर चुका है। वह नौकरी का झांसा देकर भोले भाले लोगों से मोटी रकम वसूलता था। हालांकि, यह पहला मौका है जब वह पुलिस की गिरफ्त में आया है। अब पुलिस उसके पुराने आपराधिक रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है।
बरामद हुए फर्जी दस्तावेज और नकली मुहरें
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी के ठिकाने पर छापेमारी की। इस दौरान एक लैपटॉप, फर्जी जॉब ऑफर लेटर, मार्कशीटें और कृषि विभाग, खनन विभाग तथा आयकर विभाग की नकली मुहरें बरामद की गईं। पुलिस का मानना है कि आरोपी इन फर्जी दस्तावेजों की मदद से कई लोगों को गुमराह कर चुका होगा।
मूल रूप से असम का रहने वाला
पूछताछ में खुलासा हुआ है कि प्रसन्नजीत नाहा मूल रूप से असम के जोरहट जिले के बासबाड़ी गांव का रहने वाला है। फिलहाल वह कदमा इलाके में कब से रह रहा था और कितने लोगों को ठग चुका है, इसकी जांच जारी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस ठगी में उसके साथ और कौन शामिल है।
पुलिस की सख्त चेतावनी
सिटी एसपी कुमार शिवाशीष ने आम लोगों से अपील की है कि वे सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर किसी को भी पैसे न सौंपें। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होती है और इसमें किसी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं होती। अगर कोई व्यक्ति नौकरी के नाम पर पैसा मांगता है, तो तत्काल पुलिस को सूचित करें।
यह घटना एक बार फिर लोगों को सतर्क करती है कि ठग किस तरह विश्वास का फ़ायदा उठाकर आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से पीड़िता को राहत मिली है, लेकिन यह मामला समाज को बड़ी सीख देता है।