Jamshedpur News: छोटा गदरा पंचायत में आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा डायन प्रथा और अंधविश्वास के खिलाफ जनजागरण अभियान
Jamshedpur: आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से छोटा गदरा पंचायत में ग्रामीणों के बीच जनजागरण अभियान चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को डायन प्रथा, बलि प्रथा और ओझा-गुनी जैसे अंधविश्वासों से जागरूक करना है।
संघ के सदस्य सुनील आनंद ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अब तक ऐसा कोई भी मंत्र या तंत्र नहीं है, जिससे किसी मनुष्य को क्षति पहुंचाई जा सके। मंत्र का वास्तविक उद्देश्य मानव का आध्यात्मिक एवं मानसिक उत्थान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “मंत्र से किसी की हत्या नहीं हो सकती, यह सब अंधविश्वास है। तंत्र का अर्थ मुक्ति का मार्ग है और इसे भगवान सदाशिव ने मानव कल्याण के लिए बताया था।”
उन्होंने बताया कि तंत्र साधना दो प्रकार की होती है – विद्या तंत्र और अविद्या तंत्र। लेकिन समाज में फैली गलत धारणाओं के कारण लोग इसे गलत तरीके से समझते हैं और डायन, बलि जैसी प्रथाओं को तंत्र-मंत्र से जोड़ देते हैं।
सुनील आनंद ने कहा कि आज भी समाज बलि प्रथा और डायन प्रथा जैसी कुरीतियों से जकड़ा हुआ है। लोग बीमारी या किसी समस्या को तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक से जोड़ते हैं, जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उन्होंने कहा, “यदि ओझा-गुनी में इतनी शक्ति होती कि वे किसी को मार सकते, तो उन्हें सीमा पर भेज दिया जाता। वास्तव में ओझा-गुनी से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने लोगों से अपील की कि सांप-बिच्छू काटने या बीमार होने की स्थिति में झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़कर सीधे सरकारी अस्पताल जाएं। यह सब भ्रम है कि तंत्र-मंत्र से किसी की जान ली जा सकती है।
सुनील आनंद ने बलि प्रथा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि भगवान अपने ही सृष्टि के प्राणियों की बलि कभी नहीं चाहते। यह समाज में व्याप्त अर्धविकसित मानसिकता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में भी इन अंधविश्वासों को दूर करने के लिए विशेष पाठ्यक्रम शामिल करना जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियां इन कुरीतियों को जड़ से खत्म कर सकें।
उन्होंने कहा कि परमात्मा हर मनुष्य के हृदय में विराजमान हैं। भक्ति, कीर्तन और आध्यात्मिक साधना से ही मनुष्य को आंतरिक शक्ति और आत्मबल मिलता है। जब आत्मबल और भक्ति मजबूत होगी, तब कोई भी ओझा-गुनी या अंधविश्वास समाज को गुमराह नहीं कर पाएगा।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि “दुख और कष्ट मनुष्य के अपने संस्कार और कर्मफल का परिणाम हैं। इनसे उबरने के लिए परमात्मा का स्मरण और भक्ति ही सबसे बड़ा उपाय है। सभी मनुष्य परमात्मा की संतान हैं, इसलिए तंत्र-मंत्र या डायन जैसी बातें केवल अंधविश्वास हैं।”