Jamshedpur: साझा नागरिक मंच ने सोमवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विशेष इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) की प्रक्रिया नागरिकों के मताधिकार और पहचान पर सीधा हमला कर रहा है. मंच ने दावा किया कि विदेशी घुसपैठियों को हटाने के नाम पर गरीबों, प्रवासी मजदूरों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के नाम बड़ी संख्या में मतदाता सूची से हटाए गए हैं।
जबकि गड़बड़ियों को ठीक करने की बजाय और अव्यवस्था फैलाई जा रही है. साझा नागरिक मंच का कहना है कि एसआईआर न केवल भारतीय नागरिकों की पहचान पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह संविधान विरोधी और लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम है. वक्ताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने चुनाव आयोग को भी अपनी कठपुतली बना लिया है. अब मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी, वोटों का आंकड़ा छिपाना और विपक्षी उम्मीदवारों की जीत पर रोक जैसी घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं.
मंच ने कहा कि हाल ही में बिहार में एफ आई आर प्रक्रिया के तहत 65 लाख से ज्यादा मतदाताओं को सूची से हटाया गया, लेकिन एक भी नया मतदाता नहीं जोड़ा गया. वहीं, मृतकों के नाम जोड़े गए, जिंदा लोगों को मृत घोषित किया गया और एक ही मकान पर सैकड़ों मतदाताओं के नाम दर्ज किए गए.
यह प्रक्रिया लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार है. साझा नागरिक मंच ने जनता से नागरिक अधिकार आंदोलन खड़ा करने की अपील करते हुए कुछ प्रमुख मांगें रखीं इसके तहत एसआईआर प्रक्रिया रद्द की जाए और वापस ली जाए. मौजूदा केन्द्रीय चुनाव आयुक्त इस्तीफा दें. नए चुनाव आयोग के गठन तक चुनाव प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चले. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग के गठन की प्रक्रिया बनाई जाए.