Dhanbad News: छठ महापर्व के बीच धनबाद में एक बड़ा हादसा हो गया जिसने पूरे इलाके को दहला दिया. पुटकी थाना क्षेत्र के सिंह नेचुरल आउटसोर्सिंग में रविवार की सुबह अचानक हुए लैंडस्लाइड में तीन मजदूर मलबे में दब गए. इनमें से एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. यह घटना उस वक्त हुई जब इलाके में छठ पर्व की तैयारियां जोरों पर थीं और लोग घाटों की सजावट में लगे हुए थे.
मृत मजदूर की पहचान दीपक पंडित के रूप में की गई है जो केंदुआडीह थाना क्षेत्र के राजपूत बस्ती का निवासी था. वहीं घायल मजदूरों में गणेश महतो और किशोर महतो शामिल हैं. दोनों को गंभीर अवस्था में एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दीपक पंडित कंपनी के ऑफिस में काम करता था. रविवार की सुबह वह डीजल टैंकरों में डीजल भरवाने के लिए माइंस गया था. इसी दौरान ओबी यानी ओवर बर्डन का ढेर अचानक धंस गया और तीनों मजदूर उसकी चपेट में आ गए. हादसा इतना तेज था कि आसपास मौजूद लोग कुछ समझ ही नहीं पाए. कुछ ही सेकंड में पूरा इलाका धूल और मलबे में डूब गया. जब तक साथी मजदूर और स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे तब तक दीपक की सांसें थम चुकी थीं.
घटना के बाद इलाके में अफरा तफरी मच गई. साथी मजदूरों और स्थानीय लोगों ने किसी तरह मलबा हटाकर घायलों को बाहर निकाला और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया. दीपक पंडित की मौत की खबर मिलते ही पूरे राजपूत बस्ती में मातम छा गया. परिजन और ग्रामीण रोते बिलखते कंपनी गेट के सामने पहुंच गए और शव को रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनकी मांग थी कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और किसी एक सदस्य को नौकरी दी जाए.
सूचना मिलते ही पुटकी थाना की पुलिस और आसपास के कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची. पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन गुस्सा इतना था कि लोग तब तक नहीं माने जब तक कंपनी प्रबंधन और प्रशासन के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे. काफी मशक्कत के बाद बातचीत हुई जिसमें कंपनी प्रबंधन ने मृतक के परिवार को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने, अंतिम संस्कार के लिए 1 लाख रुपये देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने पर सहमति जताई. इसके बाद ही माहौल शांत हुआ और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया.
यह हादसा फिर एक बार यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर धनबाद जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानक केवल कागजों तक ही क्यों सीमित हैं. माइंस क्षेत्रों में ओबी ढेर का धंसना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर बार एक जैसे हादसे के बाद भी न तो कोई ठोस कार्रवाई होती है और न ही जिम्मेदारी तय होती है. दीपक पंडित की मौत सिर्फ एक लापरवाही का नतीजा नहीं, बल्कि सिस्टम की उस सुस्ती का परिणाम है जो मजदूरों की सुरक्षा को कभी प्राथमिकता नहीं देती. छठ जैसे पवित्र पर्व के बीच घटी यह घटना एक परिवार की खुशियां छीन गई और यह याद दिला गई कि हमारे उत्सवों की चकाचौंध के पीछे कितनी अनसुनी त्रासदियां दबी हैं.