Chaibasa Breaking: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में एक बार फिर नक्सलियों की क्रूरता ने एक मासूम की जान ले ली. जराईकेला थाना क्षेत्र के सारंडा जंगल के दीघा इलाके में सियाल पत्ता तोड़ने गईं 10 साल की सिरिया हेरेंज की नक्सलियों द्वारा बिछाई गई आईईडी की चपेट में आने से मौके पर ही मौत हो गई. यह घटना मंगलवार सुबह करीब नौ बजे घटी, जब सियाल पत्ता इकट्ठा करने जंगल में गई थी, उसी समय अनजाने में बच्ची का पैर विस्फोटक पर पड़ गया. धमाका इतना जोरदार था कि उसके शरीर के निचले हिस्से बुरी तरह छलनी हो गए और वह तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.
सूचना मिलते ही जराईकेला थाने की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में ले लिया. जिला पुलिस अधीक्षक अमित रेनू ने घटना की पुष्टि की. शव को एंबुलेंस से मनोहरपुर के अस्पताल ले जाया जा रहा है, जहां पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा.
यह घटना नक्सलवाद की जड़ों को उजागर करती है, जहां सुरक्षाबलों के खिलाफ लगाए गए विस्फोटक बेगुनाह ग्रामीणों और बच्चों की जिंदगी निगल रहे हैं. सारंडा जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में विकास की कमी और गरीबी के कारण लोग जंगल पर निर्भर हैं, लेकिन नक्सलियों की यह रणनीति न केवल निर्दोषों को मार रही है, बल्कि स्थानीय समुदायों में भय का माहौल पैदा कर रही है. पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन लंबे समय तक शांति के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आर्थिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देना जरूरी है, ताकि युवा नक्सलवाद की ओर न भटकें. यह हादसा समाज को सोचने पर मजबूर करता है कि कब तक निर्दोष बच्चियां ऐसी कीमत चुकाएंगी, और सरकार को नक्सल उन्मूलन के साथ-साथ ग्रामीण कल्याण को प्राथमिकता देनी होगी. कुल मिलाकर, यह न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि पूरे राज्य के लिए चेतावनी कि नक्सलवाद की आग में आम लोग जल रहे हैं.