Jharkhand News: शराब घोटाला मामले में झारखंड ACB ने कार्रवाई तेज करते हुए एक और गिरफ्तारी की है. एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक को गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी शनिवार को की गई. इससे पहले इसी मामले में 14 अक्टूबर को एसीबी ने मेसर्स विजन हॉस्पिटलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों को भी अहमदाबाद से गिरफ्तार किया था.
फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई गई
एसीबी की जांच में सामने आया है कि मेसर्स विजन हॉस्पिटलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स और मार्शन इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड को हजारीबाग, कोडरमा और चतरा जिलों में मानव संसाधन प्रदाता के रूप में चयनित किया गया था. इस दौरान 27 अगस्त 2023 को कंपनी के प्रतिनिधि नीरज कुमार के हस्ताक्षर से 5.35 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा कराई गई, जो बाद में फर्जी पाई गई.
बैंक गारंटी की जांच नहीं कराई गई
इसके बाद 28 दिसंबर 2023 को कंपनी के निदेशक महेश शिडके के हस्ताक्षर से दोबारा बैंक गारंटी जमा कराई गई. इसके पीछे कारण आंतरिक बदलाव बताया गया. जांच के दौरान एसीबी को जानकारी मिली कि 10 जनवरी 2024 को बैंक गारंटी के सत्यापन के लिए पत्र लिखा गया था, लेकिन इसके बावजूद उत्पाद विभाग या जेएसबीसीएल के किसी भी स्तर पर बैंक गारंटी की जांच नहीं कराई गई.
इस बीच विक्रय के विरुद्ध अंतर राशि जमा नहीं किए जाने पर 9 जनवरी 2025 को विभाग ने बैंक गारंटी जब्त करने का आदेश जारी किया. इसके बाद संबंधित कंपनी जेएसबीसीएल के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गई. प्लेसमेंट एजेंसी की ओर से दी गई बैंक गारंटी की वैधता 31 मार्च 2025 तक थी, जिस पर हाईकोर्ट ने बैंक गारंटी की अवधि बढ़ाने का आदेश दिया.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग ने बैंक गारंटी के सत्यापन के लिए दो अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की. जब अधिकारी बैंक पहुंचे तो वहां से स्पष्ट किया गया कि संबंधित बैंक ने न तो कोई बैंक गारंटी जारी की है और न ही प्रस्तुत लेटर हेड और सिग्नेचर स्टांप बैंक से जुड़े हैं. इसके बाद फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के मामले में कंपनी को 8 अप्रैल 2025 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी प्रक्रियाओं किया गया प्रभावित
शराब घोटाला मामले में सामने आई यह गिरफ्तारी यह दिखाती है कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी प्रक्रियाओं को किस तरह प्रभावित किया गया. बैंक गारंटी की समय पर जांच नहीं होना विभागीय लापरवाही की ओर भी इशारा करता है, जबकि एसीबी की जांच से पूरे मामले की परतें धीरे धीरे खुलती नजर आ रही हैं.